वृक्ष-दोहद/vrksh-dohad

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वृक्ष-दोहद  : पुं० [सं०] १. कुछ वृक्षों का कृत्रिम उपायों या विशिष्ट प्रक्रियाओं से असमय से ही खिलने लगना या खिलाया जाना। २. भारतीय साहित्य में कवि प्रसिद्धि (देखें) के अन्तर्गत एक प्रकार की मान्यता और उसका वर्णन। जैसे—सुंदरी युवतियों के पैर की ठोकर से अशोक में फूल लगना और खिलना, उनके नाचने से कचनार में फूल आना, उनके गाने से आम में मंजरियाँ लगना, उनके आलिंगन से कुरवक का खिलना, उनके मुस्कराने से चम्पा का और देखने मात्र से चिलक का खिलना आदि। (दे० कवि-प्रसिद्धि और कवि-समय)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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