संकोच/sankoch

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संकोच  : पुं० [सं०] १. सिकुड़ने की क्रिया या भाव। २. वह मानसिक स्थिति जिसमें भय या लज्जा अथवा साहस के अभाव के कारण कुछ करने को जी नहीं चाहता। ३. असमंजस। भागा-पीछा। ४. थोड़े में बहुत सी बातें करना। ५. साहित्य में एक प्रकार का अलंकार जिसमें विकास अलंकार के विरुद्ध-वर्णन होता है या किसी वस्तु का अतिशय संकोच पूर्वक वर्णन किया जाता है। ६. एक प्रकार की मछली। ७. केसर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
संकोचक  : वि० [सं० सम√ कुच् (सिकुड़ना)+ण्वुल्-अक] १. संकोच करनेवाला। २. सिकोडऩेवाला।
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संकोचन  : पुं० [सं० सम√ कुच्+ल्युट-अन] सिकुड़ने या सिकोडऩे की क्रिया या भाव।
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सँकोचना  : स० [सं० संकोच] संकुचित करना। अ० मन में संकोच करना। असमंजस में पड़ना।
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संकोचित  : भू० कृ० [सं० संकोच+इतच्] १. संकोच युक्त। जिसमें संकोच हुआ हो। लज्जित। शरमिन्दा। पुं० तलवार चलाने का एक ढंग।
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संकोची (चिन्)  : वि० [सं० सम√कुच्+णिनि, अथवा संकोच इति] १. संकोच करनेवाला। २. सिकुड़नेवाला। ३. जिसे स्वभावतः या प्रायः संकोच होता हो। संकोचशील।
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