शब्द का अर्थ
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					संवृत					 :
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					भू० कृ० [सम्√वृ (ढकना)+क्त] १. ढका या बंद होना। आच्छादित। २. लपेटा हुआ। ३. घिरा या घेरा हुआ। ४. युक्त। सहित। ५. रक्षित। ६. जिसका दमन किया गया हो। दबाया हुआ। ७. जो अलग या दूर हो गया हो। ८. धीमा किया हुआ। ९. रुँधा हुआ (गला)। १॰. (अक्षर या वर्ण) जिसके उच्चारण में संवार नामक बाह्य प्रयत्न होता हो। विवृत या विपर्याय। पुं० [सम्√वृ (छिपाना) +क्तन्] १. वरुण देवता। २. गुप्त स्थान। ३. एक प्रकार का जलबेंत।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					संवृति					 :
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					स्त्री० [सम्√वृ (रहना)+क्त] संवृत होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					संवृत्त					 :
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					भू० कृ० [सं० संवत् (रहना)+क्त] १. पहुँचा हुआ। समागत। प्राप्त। २. जो घटित हो चुका हो। ३. (उद्देश्य या विचार) जो पूरा सिद्ध हो चुका हो। ४. उत्पन्न। ५. उपस्थित। मौजूद। पुं० वरुण देवता।				 | 
			
			
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