शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					संसर्प					 :
				 | 
				
					पुं० [सम्√सृप (धीरे चलना)+घञ] १. रेंगना। २. खिसकना। सरकना। ३. ज्योतिष में चन्द्र गणना के अनुसार वह अधिक भाग जो किसी छय मास वाले वर्ष में पड़ता है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					संसर्पण					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√सृप् (धीरे चलना)+ल्युट्—अन] [वि० संसर्प-णीय, भू० कृ० संसर्पणीय] १. धीरे-धीरे आगे की और चलना या बढना। २. खिसकना या रेंगना। ३. उक्त प्रकार या रूप से ऊपर की ओर बढ़ना या चढ़ना। ४. सहसा आक्रमण करना। अकस्मात हमला करना।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					संसर्पी					 :
				 | 
				
					वि० [संसर्प+इनि, सम√सृप् (धीरे चलना)+णिनि वा] १. संसर्पण करने वाला। २. वैद्यक में पानी में तैरने या उतरने वाला।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |