संस्कृति/sanskrti

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संस्कृति  : स्त्री० [सं० सम्√कृ (करना)+क्तिन्-सुट्] [वि० सांस्कृतिक] १. संस्कार करने अर्थात किसी वस्तु को संस्कृत रूप देने की क्रिया या भाव। परिमार्जित, शुद्ध या साफ करना। संस्कार। २. अलंकृत करना। सजाना। ३. आज-कल किसी समाज की वे सब बातें जिनसे विदित होता है कि उसने आरंभ से अब तक कुछ विशिष्ट क्षेत्र में कितना उन्नति की है। विशेष—आधुनिक विद्वानों के मत से संस्कृति भी सभ्यता का ही दूसरा अंग या पक्ष है। सभ्यता मुख्यता आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक सिद्धियो से संबद्ध है, और संस्कृति आध्यातमिक, बौद्धिक तथा मानसिक सिद्धियों से संबद्ध है। यह संस्कृति कला, कौशल के क्षेत्र की उन्नति के आधार पर आँकी जाती है। सभ्यता मानव समाज की बाह्य और भौतिक सिद्धियों की मापक है, और संस्कृति लोगो के आंतरिक तथा मानसिक उन्नति की परिचायक होती है। इसी लिए सभ्यता समाजगत और संस्कृति मनोगत है। ४. छंदशास्त्र में २४ वर्णो वाले वृत्तों की संज्ञा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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