संस्मरण/sansmaran

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संस्मरण  : पुं० [सं० सम्√स्मृ (स्मरण करना)+ल्युट्-अन] [वि० संस्मरणीय] १. अच्छी तरह या बार-बार स्मरण करना। २. ईष्टदेव आदि का बार-बार स्मरण करना या उनका नाम जपना। ३. पूर्व-जन्म के संस्कारों आदि के कारण उत्पन्न या पआपात होने अथवा बना रहने वाला ज्ञान। ४. आज-कल किसी व्यक्ति विशेषतः मृत व्यक्ति के संबंध की महात्वपूर्ण और मुख्य घटनाओं या बातों का उल्लेख या कथन। (रेमिनिसेन्सेज)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
संस्मरणीय  : वि० [सं० सम्√स्मृ (स्मरण करना)+अनीयर्] १. जिसका प्रायः संस्मरण होता रहता है। बहुत दिनों तक याद रहने लायक। २. जिसका संस्मरण (नाम, जप आदि) करना आवश्यक और उचित हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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