शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					सत्संग					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] १. सज्जनों के साथ उठना-बैठना। अच्छा साथ। भली संगत। अच्ची सोहबत। २. साधु-महात्मा या धर्मनिष्ठ व्यक्ति के साथ उठना-बैठना और धर्म-संबंधी बातों की चर्चा करना। ३. बोलचाल में वह समाज या जनसमूह जिसमें कथा-वार्ता या रामनाम का पाठ होता हो।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सत्संगति					 :
				 | 
				
					स्त्री०=सत्संग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सत्संगी					 :
				 | 
				
					वि० [सं० सत्संग+इनि, सत्संगिन] [स्त्री० सत्संगिनी] १. सत्संग करनेवाला। अच्छी सोहबत में रहनेवाला। २. सबसे मेल-जोल रखनेवाला। ३. धार्मिक व्यक्तियों के साथ रहकर धर्म-चर्चा करनेवाला।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |