सन्नाटा/sannaata

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सन्नाटा  : पुं० [सं० संनष्ट] १. ऐसी वातावरणीय स्थिति जिसमें किसी भी प्रकार का शब्द न हो रहा हो। २. उक्त स्थिति में पड़कर भयभीत ता भौंचक होने का भाव। मुहा—सन्नाटे में आना=भयभीत तथा स्तब्ध हो जाना। ३. मौन। चुप्पी। क्रि०प्र०—खींचना।—मारना। ४. निर्जनता। ५. चहल-पहल का अभाव। मुहा—सन्नाटा बीतना=उदासी में समय काटना। ६. लेन-देन, व्यापार आदि में सहसा आने वाली मंदी। जैसे आजकल बाजार में सन्नाटा है। विशेषः इस अर्थ में इसका प्रयोग विशेषण की तरह भी होता है। वि० १. जहाँ किसी प्रकार का शब्द सुनाई न पड़ता हो। नीरव। स्तब्ध। २. निराला। निर्जन। ३. (स्थान) जिसमें किसी प्रकार की क्रिया न हो रही हो। पुं० [अनु० सन सन] १. हवा के जो से चलने की आवाज। वायु के बहने का शब्द। पद-सन्नाटे का=सन-सन शब्द करता हुआ और तेजी से चलता हुआ। जैसा—सन्नाटे की हवा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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