शब्द का अर्थ
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					समुद					 :
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					वि० [सं०] मोद या प्रसन्नता से युक्त। अव्य० मोद या प्रसन्नतापूर्वक। पुं०=समुद्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					समुदगा					 :
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					स्त्री० [सं०] १. नदी जो समुद्र की ओर गमन करती है। २. गंगा नदी।				 | 
			
			
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					समुदय					 :
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					पुं० [सं० समुदयः] [भू० कृ० समुदित] १. ऊपर उठना या चढ़ना। २. ग्रह, नक्षत्र आदि का उदित होना। उदय। ३. शुभ लग्न। साइत। ४. ढेर। राशि। झुंड। समुदाय। ५. कोशिश। प्रयत्न। ६. युद्ध। समर। ७. राज-कर। वि० समस्त। सब। सारा।				 | 
			
			
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					समुदंर-फेन					 :
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					पुं०=समुद्र फेन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					समुदाचार					 :
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					पुं० [सं० सम-उद्-आ√चर् (चलना)+घञ्] १. भलमनसाहत का व्यवहार। शिष्टाचार। २. नमस्कार। ३. प्रणाम। ४. अभिप्राय। आशय। मतलब।				 | 
			
			
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					समुदाय					 :
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					पुं० [सं० सम-उद्√अय (गत्यादि)+घञ्] [वि० सामुदायिक] १. बहुत से लोगों का समूह। २. झुंड। दल। ३. ढेर। राशि। ४. उदय। ५. उन्नति। ६. सेना का पिछला भाग। ७. किसी वर्ग जाति के लोगों द्वारा बनाई हुई ऐसीसस्था जिसका मुख्य उद्देश्य सामान्य हितों की रक्षा होता है (एसोसियेशन)।				 | 
			
			
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					समुदाव					 :
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					पुं०=समुदाय।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					समुदित					 :
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					भू० कृ० [सं० सम-उद्√इण् (गत्यादि)+क्त] १. जिसका समुदाय हुआ हो। २. उदित। उठा हुआ। ३. उन्नत। जात।				 | 
			
			
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					समुद्गत					 :
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					भू० कृ० [सं० सम-उद√गम् (जाना)+क्त] १. जो ऊपर उठा हो। उदित। २. उत्पन्न। जात।				 | 
			
			
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					समुद्गार					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स०] बहुत अधिक वमन होना। ज्यादा कै होना।				 | 
			
			
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					समुद्धरण					 :
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					पुं० [सं०] [भू० कृ० समुद्धृत] १. ऊपर उठाना। २. उद्धार। ३. वह अन्न जो वमन करने पर पेट से निकला हो। ४. दूर करना। हटाना।				 | 
			
			
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					समुद्धर्ता (र्तृ)					 :
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					वि० [सं० सम√उद्√हृ (हरण करना)+तृच्] १. ऊपर की ओर उठाने या निकालनेवाला। २. उद्धार करनेवाला। ३. ऋण चुकानेवाला।				 | 
			
			
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					समुद्धार					 :
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					पुं०=समुद्घरण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					समुद्भव					 :
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					पुं० [सं०] १. उत्पत्ति। जन्म। २. पुनरुज्जीवन। ३. उपनयन के समय, हवन के लिए जलाई हुई आग।				 | 
			
			
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					समुद्भूति					 :
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					स्त्री० [सं० सम-उद्√भू (होना)√क्तिन्] [वि० समुद्भूत]=समुद्भव।				 | 
			
			
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					समुद्यत					 :
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					वि० [सं० सम+उद्√यम् (शान्त होना)+क्त] जो पूर्ण रूप से उद्यत हो। अच्छी तरह से तैयार।				 | 
			
			
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					समुद्यम					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स०] १. उद्यम। चेष्टा। २. आरंभ। शुरू।				 | 
			
			
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					समुद्र					 :
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					वि० [सं०] १. वह विशाल जल-राशि जो इस पृथ्वी तल के प्रायः तीन चौथाई हिस्से में व्याप्त है। सागर। अंबुधि। जलधि। रत्नाकर। २. लाक्षणिक अर्थ में बहुत बड़ा आगार या आश्रय। जैसा—विद्यासागर, शब्द-सागर आदि। ३. एक प्राचीन जाति।				 | 
			
			
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					समुद्र-कंप					 :
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					पुं० [सं०] समुद्र के किसी भाग में सहसा उत्पन्न होनेवाला वह कंप जो आस-पास के स्थलों में भू-कंप होने अथवा भूगर्भ में प्राकृतिक विस्फोट होने के कारण उत्पन्न होता है। (सी-क्वेक)।				 | 
			
			
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					समुद्र-कफ					 :
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					पुं० [सं०] समुद्र फेन।				 | 
			
			
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					समुद्र-कांची					 :
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					स्त्री० [सं० ब० स०] पृथ्वी जिसकी मेखला समुद्र है।				 | 
			
			
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					समुद्र-कांता					 :
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					स्त्री० [सं०] नदी जिसका पति समुद्र माना जाता है। समुद्र की स्त्री अर्थात् नदी।				 | 
			
			
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					समुद्र-चुलुक					 :
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					पुं० [सं०] अगत्स्य मुनि जिन्होंने चुल्लुओं से समुद्र पी डाला था।				 | 
			
			
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					समुद्र-झाग					 :
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					पुं०=समुंदर फेन।				 | 
			
			
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					समुद्र-तारा					 :
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					स्त्री० [सं०] एक प्रकार की समुद्री मछली जिसका आकार तारे की तरह का होता है। (स्टार फ़िश)।				 | 
			
			
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					समुद्र-नवनीत					 :
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					पुं० [सं०] १. अमृत। २. चन्द्रमा।				 | 
			
			
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					समुद्र-पत्नी					 :
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					स्त्री० [सं०] नदी। दरिया।				 | 
			
			
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				| 
					समुद्र-फेन					 :
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					पुं०=समुद्रर-फेन।				 | 
			
			
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				| 
					समुद्र-मंडूकी					 :
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					स्त्री० [सं०] सीपी। सीप।				 | 
			
			
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					समुद्र-मंथन					 :
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					पुं० [सं०] १. एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा जिसमें देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मथा था। इस मंथन के फलस्वरूप उन्हें लक्ष्मी, मणि, रंभा, वारुणी, अमृत, शंख, ऐरावत, हाथी, कल्पवृक्ष, चन्द्रमा, कामधेनु, धन, धनवंतरि, विष, और अश्व ये चौदह पदार्थ मिले थे। २. कुछ ढूँढ़ने के लिए अधिक की जानेवाली छान-बीन।				 | 
			
			
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				| 
					समुद्र-मालिनी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] पृथ्वी जो समुद्र को अपने चारों ओर माला की भाँति धारण किये हुए है।				 | 
			
			
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					समुद्र-मेखला					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] पृथ्वी जो समुद्र को मेखला के समान धारण किये हुए है।				 | 
			
			
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				| 
					समुद्र-यात्रा					 :
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					स्त्री० [सं०] समुद्र के द्वारा दूसरे देशों की होनेवाली यात्रा (सी वॉयेज)।				 | 
			
			
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				| 
					समुद्र-यान					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] १. समुद्र के मार्ग से होनेवाली यात्रा। २. समुद्र के तल पर चलनेवाली सवारी। समुद्री जहाज।				 | 
			
			
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				| 
					समुद्र-रसना					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ब० स०] पृथ्वी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					समुद्र-लवण					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] करकच नाम का मक जो समुद्र के जल से तैयार किया जाता है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					समुद्र-लहरी					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०+हि] समुद्र के रंग की तरह का हरा रंग। (सी ग्रीन)। वि० उक्त रंग के रंग का।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					समुद्र-वसना					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] पृथ्वी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					समुद्र-वह्नि					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] बड़वानल।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					समुद्र-वासी (सिन्)					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] [स्त्री० समुद्र-वासिनी] १. जो समुद्र में रहता हो। २. जो समुद्र के किनारे रहता हो।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					समुद्र-वृष्टि-न्याय					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] कहावत की तरह प्रयुक्त होनेवाला एक प्रकार का न्याय जिसका प्रयोग यह जानने के लिए होता है कि अमुक काम या बात भी उसी प्रकार व्यर्थ है जैसे समुद्र के ऊपर वृष्टि होना।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्र-सार					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] मोती।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					समुद्र-स्थली					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ष० त०] एक प्राचीन तीर्थ जो समुद्र के तट पर था।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्रगुप्त					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] मगध के गुप्त राजवंश के एक बहुत प्रसिद्ध और वीर सम्राट जिनका समय सन् ३३५ से ३७५ तक माना जाता है। इनकी राजधानी पाटिलपुत्र में थी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्रज					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] समुद्र से उत्पन्न। समुद्र जात। पुं० मोती, हीरा आदि रत्न जिनकी उत्पत्ति समुद्र से होती या मानी जाती है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्रनेमि					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] पृथ्वी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्रांबरा					 :
				 | 
				
					स्त्री [सं० ब० स०] पृथ्वी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्राभिसारिणी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ष० त०] वह कल्पित देवबाला जो समुद्र देव की सहचरी मानी जाती है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्रारु					 :
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					पुं० [सं० समुद्र√ऋ (गमनादि)+उण्] १. कुंभीर नामक जल-जंतु। २. तिमिंगल नामक जल जंतु। ३. समुद्र के किसी अंश पर बना हुआ पुल।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्रावरण					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ब० स०] पृथ्वी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्रिय					 :
				 | 
				
					वि० [सं० समुद्र+घ-इय] १. समुद्र संबंधी। समुद्र का। २. समुद्र से उत्पन्न। ३. समुद्र में या उसके तट पर रहने या होने वाला। ४. नौ-सैनिक। (नैवेल)।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्री					 :
				 | 
				
					वि०=समुद्रिय।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्री-गाय					 :
				 | 
				
					स्त्री० [हि०] नीले रंग का एक प्रकार का समुद्री पशु जो प्रायः गौ के आकार का होता है। इसका मांस खाया जाता है और चरबी अच्छे दामों पर बिकती है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्री-डाकू					 :
				 | 
				
					पुं० [हिं०] वह जो समुद्र में चलनेवाले जहाजों आदि पर डाके डालता हो। जल-दस्यु (पाइरेट)।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्री-तार					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० कर्म० स०] समुद्र में पानी के भीतर से जानेवाला तार। (केबिल)।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्वह					 :
				 | 
				
					वि० [सं० सम-उद्√वह् (ढोना)+अच्] १. श्रेष्ठ। उत्तम। बढ़िया। २. ढोने या वहन करनेवाला।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					समुद्वाह					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० सम-उद्√वह् (ढोना)+घञ्] विवाह।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |