सरसना/sarasana

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सरसना  : अ० [सं० सरस] १. हरा होना। पनपना। २. उन्मत होना। ३. अधिक होना। बढ़ना। ४. शोभित होना। सोहना। ५. रसपूर्ण होना। ६. बहुत अधिक कोमल या सरल भाव से युक्त होना। उदा०—सब देवनि सादर प्रनाम कर अति सुख सरसे।—रत्नाकर। ७. (आशय, कार्य आदि) पूरा होना। उदा०—कहि कबीर मन सरसी काज।—कबीर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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