शब्द का अर्थ
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					सहस्र					 :
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					वि० [सं०] १. जो गिनती में दस सौ हो। हजार। २. लाक्षणिक अर्थ में अत्यधिक। जैसा—सहस्र धी। पुं० उक्त की सूचक संख्या जो इस प्रकार लिखी जाती है।—१॰॰॰।				 | 
			
			
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					सहस्र-किरण					 :
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					पुं० [सं०] सूर्य।				 | 
			
			
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					सहस्र-चरण					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] विष्णु।				 | 
			
			
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					सहस्र-दंष्ट्रा					 :
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					स्त्री० [सं०] १. एक प्रकार की मछली जिसके मुँह में बहुत अधिक दाँत है। २. कुछ लोगों के मत से पाठीन नामक मछली।				 | 
			
			
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					सहस्र-भागवती					 :
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					स्त्री० [सं०] देवी की एक मूर्ति।				 | 
			
			
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					सहस्र-मूर्ति					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] विष्णु।				 | 
			
			
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					सहस्र-मूर्द्धा (र्द्धन्)					 :
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					पुं० [सं०] १. विष्णु। शिव।				 | 
			
			
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					सहस्र-लोचन					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] इंद्र।				 | 
			
			
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					सहस्र-वीर्य					 :
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					वि० [सं० ब० स०] बहुत बड़ा बलवान। बहुत बड़ा ताकतवर।				 | 
			
			
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					सहस्र-शिखर					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] विंध्य पर्वत का एक नाम।				 | 
			
			
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					सहस्र-शीर्ष (न्)					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] विष्णु।				 | 
			
			
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					सहस्र-श्रुति					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] पुराणानुसार जंबूद्वीप का एक वर्ष पर्वत।				 | 
			
			
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					सहस्रकर					 :
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					वि० [सं० सहस्र+कन्] १. सहस्र-सम्बन्धी। २. एक हजार वाला। पुं० एक ही प्रकार या वर्ग की एक हजार वस्तुओं का समाहार या कुलक।				 | 
			
			
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					सहस्रकर					 :
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					पुं० [सं०] सूर्य।				 | 
			
			
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					सहस्रगु					 :
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					पुं० [सं०] सूर्य।				 | 
			
			
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					सहस्रचक्षु (स्)					 :
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					पुं० [सं०] इन्द्र।				 | 
			
			
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					सहस्रचि (स्)					 :
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					वि० [सं० ब० स०] हजार किरणों वाला। पुं० सूर्य।				 | 
			
			
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					सहस्रजित					 :
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					पुं० [सं०] १. विष्णु। २. मृगमद। कस्तूरी। ३. जांबवती के गर्भ से उत्पन्न श्रीकृष्ण का एक पुत्र।				 | 
			
			
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					सहस्रणी					 :
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					पुं० [सं० सहस्र√नी (ढोना)+क्विप्] हजारों रथियों की रक्षा करनेवाले, भीष्म।				 | 
			
			
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					सहस्रद					 :
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					पुं० [सं० सहस्र√दा (देना)+क] १. बहुत बड़ा दानी। २. हजारों गौएँ आदि दान करनेवाला बहुत बड़ा दानी। ३. पहिना या पाठीन मछली।				 | 
			
			
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					सहस्रदल					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] हजार दलोंवाला अर्थात् कमल।				 | 
			
			
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					सहस्रदृश					 :
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					पुं० [सं०] १. विष्णु। २. इन्द्र।				 | 
			
			
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					सहस्रधारा					 :
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					स्त्री० [सं०] देवताओं आदि का अभिषेक करने का एक प्रकार का पात्र जिसमें हजारो छेद होते हैं।				 | 
			
			
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					सहस्रधी					 :
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					वि० [सं० ब० स०] बहुत बड़ा बुद्धिमान्।				 | 
			
			
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					सहस्रधौत					 :
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					वि० [सं० मध्यम० स०] हजार बार धोया हुआ। पुं० हजार बार पानी से धोया हुआ घी जिसका व्यवहार औषध के रूप में होता है।				 | 
			
			
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					सहस्रनयन					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. विष्णु। २. इन्द्र।				 | 
			
			
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					सहस्रनाम					 :
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					पुं० [सं० ब० स० कम० स० व] वह स्तोत्र जिसमें किसी देवता या देवी के हजार नाम हों। जैसा—विष्णु सहस्रनाम शिव सहस्रनाम दुर्गा सहस्रनाम आदि।				 | 
			
			
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					सहस्रनामा (मन्)					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. विष्णु। २. शिव। ३. अमलबेंत।				 | 
			
			
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					सहस्रनेत्र					 :
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					पुं० [सं०] १. इन्द्र। २. विष्णु।				 | 
			
			
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					सहस्रपति					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] प्राचीन भारत में हजार गाँवों का स्वामी और शासक।				 | 
			
			
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					सहस्रपत्र					 :
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					पुं० [सं०] कमलपत्र।				 | 
			
			
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					सहस्रपाद					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. विष्णु। २. शिव। ३. महाभारत के एक ऋषि।				 | 
			
			
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				| 
					सहस्रपाद					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ब० स०] १. सूर्य। २. विष्णु। ३. सारस पक्षी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सहस्रबाहु					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. शिव। २. कार्तवीर्याजुन या हैहय का एक नाम। ३. राजा बलि के सबसे बड़े पुत्र का नाम।				 | 
			
			
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				| 
					सहस्रभुज					 :
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					पुं०=सहस्रबाहु।				 | 
			
			
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				| 
					सहस्रभुजा					 :
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					स्त्री० [सं० ब० स०] दुर्गा का हजार बाहों वाला वह रूप जो उन्होंने महिसासुर को मारने के लिए धारण किया था।				 | 
			
			
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				| 
					सहस्रमूलिका, सहस्रमूली					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] १. कांडपत्री। २. बड़ौ दंती। ३. मूसाकाणि। ४. बड़ी शतवार। ५. मुदगपर्णी। बनमूँग।				 | 
			
			
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				| 
					सहस्ररश्मि					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] सूर्य।				 | 
			
			
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				| 
					सहस्रशः (शस्)					 :
				 | 
				
					अ० [सं० सहस्+शस्] हजारों तरह से। वि० कई हजार। हजारों।				 | 
			
			
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				| 
					सहस्रशाख					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ब० स०] वेद, जिसकी हजार शाखाएँ हैं				 | 
			
			
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				| 
					सहस्रसाव					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ब० स०] अश्वमेघ यज्ञ।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					सहस्रा					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० सहस्त्र—टाप्] १. मात्रिका। अंबष्टा। मोइया। २. मयूरशिखा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					सहस्रांक					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ब० स०] सूर्य।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सहस्राक्ष					 :
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					विं० [सं० ब० स०] हजार आँखोंवालापुं० ब्रह्मा। १. इंद्र। २. विष्णु ३. उत्पलाक्षी देवी का पीठ स्थान। (देवी भागवत)				 | 
			
			
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				| 
					सहस्राधिपति					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] प्राचीन भारत में वह अधिकारी जो किसी राजा की ओर से एक हजार गाँवों का शासन करने के लिए नियुक्त होता था।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					सहस्रानन					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ब० स०] विष्णु।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सहस्राब्दि					 :
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					स्त्री० [सं०] किसी संवत या सन के हर एक से हर हजार तक के वर्षों अर्थात दस शताब्दियों का समूह। (माइलीनियम)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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				| 
					सहस्रायु					 :
				 | 
				
					वि० [सं० ब० स०] हजार वर्ष जीने वाला।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					सहस्रार					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. हजार दलों नावा एक प्रकार का कल्पित कमल। २. जैन पुराणों के अनुसार बारहवें स्वर्ग का नाम। ३. ङठयोग के अनुसार शरीर के अंदर के आठ कमलों या चक्रों में से एक जो हजार दलों का माना गया है। इसका स्थान मस्तक का भपरी भाग माना जाता है। इसे शून्य चक्र भी कहते है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार यह विचार शक्ति और शरीर का विकास करने वाली ग्रंथियों का केंद्र है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					सहस्रावर्ता					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० सहस्रावर्त्ता—टाप्] १. देवी की एक मूर्ति।				 | 
			
			
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				| 
					सहस्रांशु					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] सूर्य।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सहस्राशुज					 :
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					पुं० [सं० सहस्त्रशु√जन् (उत्पन्न करना)+ड] शनिग्रह।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सहस्रास्य					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. विष्णु। २. अनंत नामक नाग।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सहस्रिक					 :
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					वि० [सं० सहस्र+ठन्—इक] हजार वर्ष तक चलता रहने या होने वाला।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सहस्री (स्रिन)					 :
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					पुं० [सं० सहस्त्र+इनि] वह वीर या नायक जिसके पास हजार योद्धा, घोड़े, हाथी आदि हों। स्त्री० एक ही तरह की हजार चीजें या वर्ग का समूह।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सहस्रेक्षण					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ब० स०] इंद्र।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |