शब्द का अर्थ
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					साँझ					 :
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					स्त्री० [सं० सन्ध्या] १. सूर्य डूबने से कुछ पहले तथा कुछ बाद तक का समय। शाम। पद—साँझ ही= (क) उचित समय से बहुत पहले ही। (खध बहुत जल्दी ही और अनुपयुक्त समय पर। उदा०—तेकर भाग साँझ ही फूटे।—घाघ। २. सूर्य ढलने के बाद का समय। स्त्री०=साझा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					साँझ-पाती					 :
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					स्त्री० =साझा-पात्ती।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					साँझला					 :
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					पुं० [सं० संध्या, हिं साँझ+ला (प्रत्य०)] उतनी भूमि जितनी एक हल से दिन भर में जोती जा सके।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					साँझा					 :
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					पुं०=साझा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					साँझी					 :
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					स्त्री० [हिं० साँझ] प्रायः स्त्रियों में प्रचलित एक लोक-कला जिसमें त्योहारों आदि पर घरों और मंदिरों की भूमि या फर्श पर रंगीन चूर्णों, अनाज के दानों और भूसियों तथा फूल-पत्तियों से बेल-बूटों, पशु-पक्षियों या दूसरे पदार्थों की आकृतियाँ बनाई जाती हैं। (गुजरात में इसी को सथिया, महाराष्ट्र में रंगोली, बंगाल में अल्पना तथा दक्षिण भारत में कोलं (कोलम्) कहते हैं। पुं०=साझेदार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					साँझेदार					 :
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					पुं०=साझेदार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |