साँझी/saanjhee

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साँझी  : स्त्री० [हिं० साँझ] प्रायः स्त्रियों में प्रचलित एक लोक-कला जिसमें त्योहारों आदि पर घरों और मंदिरों की भूमि या फर्श पर रंगीन चूर्णों, अनाज के दानों और भूसियों तथा फूल-पत्तियों से बेल-बूटों, पशु-पक्षियों या दूसरे पदार्थों की आकृतियाँ बनाई जाती हैं। (गुजरात में इसी को सथिया, महाराष्ट्र में रंगोली, बंगाल में अल्पना तथा दक्षिण भारत में कोलं (कोलम्) कहते हैं। पुं०=साझेदार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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