शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					साक्ष					 :
				 | 
				
					वि० [सं० त० त०] १. अक्ष से युक्त। २. आँखों या नेत्रों से युक्त। आँखोंवाला।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्षर					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] [भाव० साक्षरता] १. अक्षर या अक्षरों से युक्त। २. (व्यक्ति) जो अक्षरों को पढ़-लिख सकता हो। ३. शिक्षित। सुशिक्षित। (लिटरेट; उक्त होनों अर्थों में)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्षरता					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] साक्षर अर्थात् पढ़े-लिखे होने की अवस्था या भाव। (लिटरेसी)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्षातकारी (रिन्)					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] साक्षात् करनेवाला।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्षात्					 :
				 | 
				
					अव्य० [सं०] १. आँखों के सामने। प्रत्यक्ष। सम्मुख। २. प्रत्यक्ष या सीधे रूप में। ३. शरीरधारी व्यक्ति (या वस्तु) के रूप में। जैसे—विद्या में तो आप साक्षात् बृहस्पति थे। वि० मूर्तिमान्। साकार। जैसे—आप तो साक्षात् सत्य हैं। पुं०=साक्षात्कार० (क्व०)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्षात्कार					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] १. आँखों के सामने प्रत्यक्ष या साक्षात् उपस्थित होना। सामने आना या होना। जैसे—ईश्वर या देवी-देवताओं का (या से) होनेवाला साक्षात्कार। २. प्रत्यक्ष रूप से होनेवाली भेंट। मुलाकात। ३. इन्द्रियों या मन को (किसी बात या विषय का) होनेवाला पूरा या स्पष्ट ज्ञान। जैसे—मानसिक साक्षात्कार।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्षिता					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] १. साक्षी होने की अवस्था या भाव। २. गवाही। साक्ष्य।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्षिभूत					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० कर्म० स०] विष्णु का एक नाम।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्षी (क्षिन्)					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] [स्त्री० साक्षिणी] १. वह मनुष्य जिसने किसी घटना को घटित होते हुए अपनी आँखों से देखा हो। २. उक्त प्रकार का ऐसा व्यक्ति जो किसी बात की प्रामाणिकता सिद्ध करता हो। गवाह। ३. वह जो कोई घटना घटित होते हुए देखता हो। प्रत्यक्षदर्शी। जैसे—हमारे शरीर में आत्मा साक्षी रूप में रहती है, भोग से उसका कोई सम्बन्ध नहीं होता। स्त्री० किसी बात को कहकर प्रामाणिक करने की क्रिया। गवाही। शहादत।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्षीकरण					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० साक्षि√च्वि√कृ (करना)+ल्युट—अन] [भू० कृ० साक्षीकृत] दे० ‘साक्ष्यंकन’।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्षीकृत					 :
				 | 
				
					भू० कृ० [सं०] दे० साक्ष्यंकित’।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्ष्य					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० साक्षि+यत्] १. वह जो कुछ अपनी आँखों से देखा गया हो। २. आँखों से देखी हुई घटना का कथन। ३. गवाही। शहादत।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्ष्यकंति					 :
				 | 
				
					भू० कृ० [सं०] जिस पर साक्ष्यंकन हुआ हो। (एटेस्टेड)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					साक्ष्यंकन					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० साक्षी+अंकन] [भू० कृ० साक्ष्यंकित] किसी पत्र, लेख्य, हस्ताक्षर आदि के सम्बन्ध में साक्षी के रूप में लिखवाना कि यह ठीक और वास्तविक है। प्रमाणीकरण। (एटेस्टेशन)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |