शब्द का अर्थ
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					सीना					 :
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					स० [सं० सीवन] १. सुई-धागे या सूजे-रस्सी आदि की सहायता से दो या अधिक कपड़े, कागज, टाट, नाइलन, प्लास्टिक, माँस, चमड़े आदि के टुकड़ों के साथ जोड़ना। जैसे—फटी हुई धोती सीना, कापी या किताब सीना, जूता सीना। २. सिलाई करना। जैसे—कमीज या पजामा सीना। पद—सीना-पिरोना=सिलाई, बेलबूटे आदि का काम करना। ३. लाक्षणिक अर्थ में, दो पक्षों के मत भेद दूर करना। पुं० [फा० सीनः] १. छाती। वक्षस्थल। मुहा०—(किसी को) सीने से लगाना=प्रेम पूर्वक गले लगाना। आलिंगन करना। २. स्त्री० का स्तन। पुं०=सीवाँ (कीड़ा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सीना कोबी					 :
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					स्त्री० [फा० सीन-कोबी] छाती पीटते हुए शोक प्रकट करना।				 | 
			
			
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					सीना-जोर					 :
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					वि० [फा० सीनःजोर] [भाव० सीना-जोरी] १. अपने बल के जोर पर या अभिमान से दूसरों से जबरदस्ती काम कराने वाला। जबरदस्त। २. अत्याचारी।				 | 
			
			
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					सीना-जोरी					 :
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					स्त्री० [फा० सीनःजोरी] १. जबरदस्ती। २. अत्याचार।				 | 
			
			
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					सीना-तोड़					 :
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					पुं० [हिं० सीना+तोड़ना] कुस्ती का एक पेंच।				 | 
			
			
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					सीना-पनाह					 :
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					पुं० [फा०] जहाज के निचले खंड में लंबाई के बल दोनो ओर का किनारा। (लश०)				 | 
			
			
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					सीना-बंद					 :
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					पुं० [फा० सीनबन्द] १. सीना बाँधने वाला वस्त्र या पट्टी। २. अंगिया। चोली। ३. एक प्रकार की कुरती जिसे सदरी भी कहते हैं। ४. पट्टी विशेषतः घोड़े की पेटी। ५. ऐसा घोड़ा जिसका अगला पैर लंगड़ाता हो।				 | 
			
			
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					सीना-बाँह					 :
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					स्त्री० [हिं० सीना+बाँह] एक प्रकार की कसरत।				 | 
			
			
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					सीना-मोढ़ा					 :
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					पुं० [फा० सीनः=छाती+हिं० मोढ़ा=कन्धा] छाती, कन्धों आदि का विचार जो प्रायः व्यक्तियों, विशेषतः पशुओं के पराक्रम, बल आदि का अनुमान लगाने के लिए होता है। जैसे—घोड़े, बकरे आदि का दाम, उनके सीने मोढ़े पर ही लगता है।				 | 
			
			
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