शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					सुपार					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] जिसे सहज में पार किया जा सके।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सुपारग					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] जो सहज में पार जा सकता हो। पुं० शाक्य मुनि।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सुपारा					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] नौ प्रकार की तुष्टियों में से एक। (सांख्य)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सुपारी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० सुप्रिय] १. नारियल की जाति का एक बहुत ऊँचा पेड़। २. उक्त वृक्ष का फल जो छोटी कड़ी गोलियों के रूप में होता है और जिसके छोटे छोटे टुकड़े यों ही अथवा पान के साथ खाये जाते हैं। कसैली। छालिया। मुहा–सुपारी लगना=सुपारी खाने पर उसका कोई टुकड़ा गले की नली में अटकना जिससे कुछ खाँसी और बेचैनी सी होती है। उदा–सोर भयो सकुचे समुझे हरवाहि कह्यो लागि सुपारी। केशव ३. लिंगेन्द्रिय का अगला अंडाकार भाग जो प्रायः सुपारी (फल) की तरह होता है।(बाजारू)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सुपारी का फूल					 :
				 | 
				
					पुं० [हिं० सुपारी+फूल] मोचरस या सेमल का गोंद				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					सुपार्श्व					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] १. परास पीपल। राजदंड। गर्दभांड। २. पाकर का पेड़। ३. एक प्राचीन पर्वत। ४. एक पौराणिक पीठ-स्थान। ५. जैन धर्म में, सातवें तीर्थंकार। ६. जटायु का भाई संपाती के पुत्र का नाम। वि० सुंदर पार्श्ववाला।।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |