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सुरसा  : स्त्री० [सं० सुरस–टाप्] १. पुराणानुसार एक राक्षसी, जो नागों या सर्पों की माता कही गई है और जिसने हनुमान को लंका जाते समय समुद्र पार करने से रोकना चाहा था। २. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। ३.संवत में एक प्रकार की रागिनी। ४. दुर्गा का एक नाम। ५. एक पौराणिक नदी। ६. अंकुश के आगे का नकीला भाग। ७. ब्राह्यी। ८. तुलसी। ९. सौंफ। १॰. बड़ी शतादर। ११. जूही। १२. सफेद निसोथ। १३. शल्लकी। सलई। १४. निर्गुडी। १५. रास्ना। १६. भटकटैया। कँटेरी। १७. बन-भंटा। बहती।
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सुरसाई  : पुं० [सं० सुर+हिं० साँई=स्वामी] १. इन्द्र। २. शिव। ३. विष्णु।
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सुरसाग्रज  : पुं० [सं०] सफेद तुलसी।
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सुरसाग्रणी  : स्त्री०=सुरसाग्रज।
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सुरसारी  : स्त्री०=सुरसरि।
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सुरसालु  : पुं० [सं० सुर+हिं० सालना] देवताओं को सतानेवाला अर्थात असुर या राक्षस।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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सुरसाष्ट  : पुं० [सं० ष० त०] सँभालू, तुलसी, ब्राह्मी, बनभंटा, कंटकारी और पुर्ननवा–इन सब का वर्ग या समूह।
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