शब्द का अर्थ
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					सोर					 :
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					पुं० [फा० शोर] १. कोलाहल। हल्ला। २. प्रसिद्धि। ख्याति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [सं० शटा] पोड़ों की जड़। मूल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [?] बारूद (राज०)। उदा०–उठै सोर फाला अनल, आभ धुआँ आँधियार।–बाँकी दास।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [तामिल शुड़ा, तेलुगु सोर] हाँगर की जाति की एक प्रकार की बहुत भीषण और बड़ी समुद्री मछली। (शार्क)। पुं० [सं०] वक्र गति। टेढ़ी चाल।				 | 
			
			
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					सोर-भखी					 :
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					स्त्री० [सं० शूरभक्षी] तोप या बंदूक। (डिं०)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सोरंजान					 :
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					स्त्री० =सुरंजान (ओषधि)। पुं० =सूरंजन (सुपारी का पेड़)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सोरट्ट					 :
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					पुं०=सोरठ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सोरठ					 :
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					पुं० [सं० सौराष्ट्र] १. सौराष्ट्र (प्रदेश)। २. उक्त प्रदेश की प्रचीन राजधानी, सूरत। ३. ओड़व जाति का एक राग जो हिडोल का पुत्र कहा जाता है। मुहा०–खुली सोरठ कहना=खुलेआम कहना। कहने मे संकोच या भय न करना।				 | 
			
			
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					सोरठ-मल्लार					 :
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					पुं० [हिं० सोरठ+मल्लार] सोरठ और मल्लार के योग से बना हुआ एक संकर राग।				 | 
			
			
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					सोरठा					 :
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					पुं० [सं० सौराष्ट्र, हिं० सोरठ (देश)] अड़तालीस मात्राओं का एक छंद जिसके पहले और तीसरे चरण मे ग्यारह-ग्यारह और दूसरे तथा चौथे चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ होती हैं। इसके समचरणों मे जगण का निषेध है। दोहे के चरणों को आगे पीछे कर देने से सोरठा हो जाता है।				 | 
			
			
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					सोरठी					 :
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					स्त्री० [सोरठ (देश)] संगीत में एक रागिनी जो मेघराग की पत्नी कही गई है। वि० सोरठा संबंधी सोरठ का।				 | 
			
			
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					सोरण					 :
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					वि० [सं०] जो स्वाद में उग्र हो। विशेषतः खट्टा और चरपरा।				 | 
			
			
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					सोरनी					 :
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					स्त्री० [सं० शोधनी] १. झाड़ू। बुहारी। २. जलाये हुए शव की राख बहाने का संस्कार।				 | 
			
			
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					सोरबा					 :
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					पुं० =शोरबा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सोरभ					 :
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					पुं० =सौरभ (सुगंध)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सोरह					 :
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					वि० , पुं० =सोलह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सोरहिया					 :
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					स्त्री० [हिं० सोलह ?] पुरानी चाल की एक प्रकार की नाव जो सोलह हाथ की चौड़ी होती थी। स्त्री० =सोरही।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सोरही					 :
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					स्त्री० =सोलह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सोरा					 :
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					पुं० शोरा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सोराना					 :
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					अ० [हिं० सोर=जड़] बोई हुई चीज मे सोर या जड़ निकालना। उदा०–तुम्हारा आलू सोरा कर ऐसा ही रह जायगा।–जयशंकर प्रसाद।				 | 
			
			
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					सोराष्ट्र					 :
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					पुं० [सं०] [वि० सौराष्ट्रिक] १. गुजरात-कठियावाड़ का प्राचीन नाम। सूरत के आस पास का प्रदेश। सोरठ देश। २. उक्त देश का निवासी। ३. एक प्रकार का वर्ण-वृत्त। ४. संगीत में सोरठ नाम का राग। ५. काँसा नामक धातु। ६. कुँदरू नामक गंध द्रव्य। वि० सोरठ या सौराष्ट्र देश का।				 | 
			
			
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					सोरी					 :
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					स्त्री० [सं० स्रवण=बहना या चूना] बरतन में का महीन छेद जिसमे होकर पानी बह जाता हो।				 | 
			
			
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					सोर्मि, सोर्मिक					 :
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					वि० [सं०] तरंग—युक्त।				 | 
			
			
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