शब्द का अर्थ
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स्रोत :
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पुं० [सं० स्रोतस्] १. पानी का बहाव। धारा। २. विशेषतः तीव्र धारा। ३. पानी का सोता। झरना। ४. आधार या साधन,जिससे कोई वस्तु बराबर निकलती या आती हुई किसी को मिलती रहे। (सोर्स)। ५. वंश–परंपरा। ६.वैद्यक के अनुसार शरीर के वे छिद्र या मार्ग जो पुरुषों में प्रधानतः ९ और स्त्रियों में ११ माने गये थे। इनके द्वारा प्राण, अन्न, जल, रस, रक्त,मांस,मेद,मल,मूत्र,शुक्र और आर्तव का शरीर में संचार होना माना जाता है। |
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स्रोत आपत्ति :
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स्त्री० [सं०] बौद्ध शास्त्र के अनुसार निर्वाण साधना की प्रथम अवस्था जिसमें सांसारिक बंधन शिथिल होने लगते हैं। |
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स्रोत–आपन्न :
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वि० [सं०] जो निर्वाण साधना की प्रथम अवस्था पर पहुँचा हो। |
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स्रोत–पत :
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पुं० [सं०स्रोत+पति] समुद्र (डि.)। |
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स्रोतस्य :
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पुं० [सं०] १. शिव का एक नाम। २. चोर। |
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स्रोतस्वती :
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स्त्री० [सं०] १. धारा। २. नदी। |
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स्रोतस्विनी :
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स्त्री० [सं०] १. धारा। २. नदी। |
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स्रोता :
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पुं० =श्रोता (सुननेवाला)। |
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स्रोतोंऽजन :
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पुं० [सं०] आँखों में लगाने का सुरमा। |
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