शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					स्वाहा					 :
				 | 
				
					अव्य० [सं०] एक शब्द जिसका प्रयोग देवताओं को हवि देने के समय मंत्रों के अन्त में किया जाता है। जैसे–इंद्राय स्वाहा। वि० १. जो जलाकर नष्ट कर दिया गया हो। २. जिसका पूरी तरह से अन्त या नाश कर दिया गया हो। पूर्णतः विनष्ट। जैसे–कुछ ही दिनों में उसने लाखों रुपयों की सम्पत्ति स्वाहा कर दी। स्त्री० अग्नि की पत्नी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्वाहा-ग्रसण					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० स्वाहा+ग्रसन्] देवता (डिं०)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्वाहा-प्रिय					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] अग्नि।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्वाहापति					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] स्वाहा के पति, अग्नि देवता।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्वाहाभुक्					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० स्वाहाभुज्] देवता।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्वाहार					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] अच्छा आहार या भोजन।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्वाहार्ह					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] १. स्वाहा के योग्य। हवि पाने के योग्य। २. जो स्वाहा किया अर्थात् पूरी तरह से जलाया या नष्ट किया जा सके या किया जाने को हो।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्वाहाशन					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] देवता।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |